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Friday 21 May 2021

Multimeter || Invention || Main Parts of Multimeter || Types || Uses || In Hindi

 

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Automobiletext.com के इस पृष्ठ में आपका स्वागत है। इस पृष्ठ में हम मल्टीमीटर के बारे में विस्तार से जानेंगे। मल्टीमीटर को बेहतर तरीके से समझने के लिए हम इस आर्टिकल को दो भागों में विभाजित कर सकते है।

  1. मल्टीमीटर की सामान्य जानकारियाँ

    • मल्टीमीटर की परिभाषा (Definition)
    • मल्टीमीटर का आविष्कार
    • मल्टीमीटर के प्रकार
    • मल्टीमीटर के प्रमुख भाग
    • मल्टीमीटर पर दिए गए Symbol
    • प्रयोग करने से पहले मल्टीमीटर को तैयार करना
  1. मल्टीमीटर की प्रयोग विधि

    • DC voltage मापना
    • AC Voltage मापना
    • Resistance मापना
    • Continuity मापना इत्यादि

मल्टीमीटर की सामान्य जानकारियाँ


What is a Multimeter?

मल्टीमीटर क्या है?


Definition - A multimeter is a measuring electronic instrument that can measure voltage , current, resistance and continuity of a circuit or electronic  and electrical component. 


मल्टीमीटर एक इलेक्ट्रॉनिक मेजरिंग इंस्ट्रूमेंट होता है जिस से किसी इलेक्ट्रॉनिक या इलेक्ट्रिकल सर्किट या कॉम्पोनेन्ट का वोल्टेज, करंट, रेजिस्टेंस तथा कंटीन्यूटी इत्यादि को मापा जा सकता है।

जैसा कि इसके नाम से ही विदित होता है कि यह अंग्रेजी के दो शब्दों से मिलकर बना है - "Multi" और "Meter" । जहाँ "Multi" का अर्थ होता है - "बहु" और "Meter" का अर्थ होता है "मापक" ।

अर्थात एक ऐसा डिवाइस जिससे बहुत सारे प्रोपर्टीज को मापा जा सके।

मल्टीमीटर को "Volt-ohm Meter (VOM)" के नाम से भी जाना जाता है। एक मल्टीमीटर AC - Voltmeter , DC- Voltmeter , ammeter, और Ohm meter का कॉम्बिनेशन होता है।


मल्टीमीटर का आविष्कार 

(Invention of Multimeter)


मल्टीमीटर के आविष्कार की कहानी बहुत ही दिलचस्प है। कहा जाता है कि - "आवश्यकता आविष्कार की जननी है"। यह बात मल्टीमीटर के आविष्कार में बिल्कुल सटीक बैठती है। एक ब्रिटिश पोस्ट आफिस में इंजीनियर रहे Mr. Donald Macadie ने सबसे पहला मल्टीमीटर बनाया था। Mr. Donald एक इंजीनियर थे और उन्हें अपने टेलीकम्यूनिकेशन सर्किट पर कार्यहेतु अलग अलग मीटर को अपने साथ रखना पड़ता था। जिससे उन्हें बहुत असुविधा होती थी। इसलिए उन्होंने एक ऐसा मीटर बनाने की सोची जो Volt, ampere और resistance को माप सकता हो। यह सफलता उन्हें सन 1920 के दशक मिली। जिसे Avometer के नाम से जाना जाता है। हालाँकि, उस समय इसे मल्टीमीटर नही कहा जाता था। चूंकि यह यह उस समय का एक मल्टी टास्किंग मीटर था। इसलिए हम इसे पहला मल्टीमीटर कह सकते है ।

इसमें एक moving coil meter की सहायता से रीडिंग लिया जा सकता था। इस Avometer में Range selection के लिए switches और socket बने हुए थे।

सबसे पहले सन 1907 में ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी द्वारा प्रमाणित तौर पर "Multimeter" शब्द का प्रयोग किया गया।


मल्टीमीटर के प्रकार

(Types of Multimeter)


मल्टीमीटर के दो प्रकार होते है-

  1. एनालॉग मल्टीमीटर (Analog Multimeter)

  2. डिजिटल मल्टीमीटर ( Digital Multimeter)


1. एनालॉग मल्टीमीटर (Analog Multimeter) - Analog   या Analogue multimeter एक needle या pointer लगा मीटर है जो सामान्यतः volt, Ampere, resistance तथा continuity को मेजर कर सकता है। इसके प्रयोग के लिए एडिशनल स्किल की जरूरत पड़ती है। जब से डिजिटल मल्टीमीटर का प्रयोग शुरू हुआ है तब से एनालॉग मल्टीमीटर का प्रयोग अप्रसांगिक हो गया है। 1970 से 1990 के दशक तक यह बहुतायत ही प्रचलन में था।


2. डिजिटल मल्टीमीटर ( Digital Multimeter) - डिजिटल टाइप मल्टीमीटर में एक डिजिटल डिस्प्ले होता है जो रीडिंग को डिजिटल फॉर्म में दिखता है। इसके द्वारा लिए गए रीडिंग्स बहुत ही सटीक होते है। इसकी प्रयोग विधि बहुत ही आसान होती है और इसको यूज़ करने लिए एडिशनल स्किल की भी जरूरत नही पड़ती है। डिजिटल मल्टीमीटर को शार्ट फॉर्म में "DMM" भी कहते हैं।

जहाँ - D = Digital, M= Multi, M= Meter.


डिजिटल मल्टीमीटर के प्रमुख भाग

(Main parts of Digital Multimeter)


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Parts Name of Digital Multimeter


सामान्य डिजिटल मल्टीमीटर के निम्नलिखित प्रमुख भाग होते है। 

    • डिजिटल डिस्प्ले (Digital display)
    • रोटरी स्विच (Rotary switch)
    • इनपुट पोर्ट्स (Input ports)
    • प्रोब (Probe)
    • मेजरिंग रेंज (Different Measuring range)
    • बैटरी (for power supply)

डिजिटल (Digital Display) - मल्टीमीटर का डिस्प्ले liquid-crystal display (LCD Display) होता है। जिस पर measure किए गए रीडिंग को डिस्प्ले किया जाता है।

रोटरी स्विच (Rotary switch) - यह एक movable switch होता है। इसे रोटेट करके Desired, range और Mode को सेलेक्ट किया जा सकता है। रोटरी स्विच पर बने तीर (arrow) के निशान के द्वारा रेंज और मोड इंगित होता है।

इनपुट पोर्ट्स (Input ports) - मल्टीमीटर पर दो या तीन छिद(hole) बने होते है। जिन्हें "probe input port" या "input port" कहा जाता है। इसी input port में red और black probe को measuring process को complete करने के लिए insert किया जाता है।

सभी मल्टीमीटर में ट्रांजिस्टर को चेक करने के लिए भी इनपुट पोर्ट भी बने होते है।


Probe (प्रोब) - मल्टीमीटर के साथ दो स्पेशल designed wire उपलब्ध कराया जाता है। जिसे " Probe " या "multimeter Probe" के नाम से जाना जाता है। दोनों probes की संरचना बिल्कुल एक जैसी होती है। पहचान के लिए एक प्रोब का colour, Red होता है तथा दूसरे प्रोब का colour Black होता है। दोनों Probes के एक सिरे की संरचना सुई की तरह होती है जिसका प्रयोग कॉम्पोनेन्ट अथवा सर्किट को टच करने के लिए किया जाता है तथा दूसरे सिरे की संरचना Male type होती है जिसे मल्टीमीटर के इनपुट पोर्ट्स में इन्सर्ट किया जा सकता है। Red colour wire को "Positive probe" तथा Black colour wire को "Negative Probe" कहा जाता है।


मेजरिंग रेंज (Different Measuring range) -  मल्टीमीटर में रोटरी स्विच के चारो तरफ कुछ नंबर और सिंबल दिए गए होते है। जो अलग अलग Quantity जैसे AC वोल्ट , DC वोल्ट , Current, Resistance, तथा continuity इत्यादि को measure करने के लिए बने होते है। इस रेंज से पता चलता है कि किसी Quantity को कितने रेंज तक measure किया जा सकता है। अगर किसी मल्टीमीटर पर रेंज मिट जाते है या धुंधले पर जाते है तब हमें किसी quantity को measure करने में दिक्कत हो सकती है।


बैटरी (Battery) - मल्टीमीटर को काम करने के लिए पावर की आवश्यकता होती है और मल्टीमीटर को यह पावर मिलता है - मल्टीमीटर में लगे cell से। एक मल्टीमीटर को ऑपरेट करने के लिए लगभग 3 v से 5 v  (वोल्ट) तक की आवश्यकता हो सकती है। सेल से पावर सप्लाई कम होने की स्थित में मल्टीमीटर से प्राप्त होने वाला रीडिंग गलत हो सकता है।


ऊपर उल्लेखित पार्ट्स के अलावा मल्टीमीटर में कुछ और पार्ट्स भी देखने को मिलते है जैसे - रीडिंग होल्ड बटन, बैक लाइट बटन इत्यादि


मल्टीमीटर पर दिए गए Symbol

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Symbol of Multimeter


मल्टीमीटर को प्रयोग में लाने से पहले उस पर दिए गए विभिन्न प्रकार के symbols को जानना और याद रखना बहुत आवश्यक है । तब ही इसका प्रयोग सुगमता के साथ किया जा सकता है। तो आइये जानते है इसके symbols के बारे में।


DC वोल्टेज सिंबल - DC वोल्टेज सिंबल के लिए इंग्लिश अल्फाबेट "V" के साथ एक सीधी लाइन (-) और लाइन के नीचे कुछ डॉट (••••) के निशान बने होते है। 


AC वोल्टेज सिंबल - AC वोल्टेज सिंबल के लिए भी इंग्लिश के "V" अल्फाबेट के साथ wave dash (~)का प्रयोग किया जाता है। यह सिंबल कुछ इस तरह का होता है - "V~"


DC एम्पेयर सिंबल - DC करंट के एम्पेयर के सिंबल के तौर पर इंग्लिश अल्फाबेट के "A" के साथ एक सीधी लाइन (-) और लाइन के नीचे कुछ डॉट (••••) के निशान बने होते है।


Continuity सिंबल - सामान्य तौर पर continuity के सिंबल के तौर पर एक wave sign या diode का प्रयोग किया जाता है।


Resistance सिंबल - Resistance symbol के लिए कैपिटल ग्रीक लेटर ओमेगा (Omega) - (Ω) का प्रयोग किया जाता है। सामान्य तौर पर इसका उच्चारण "Ohm" (ओम) होता है।


प्रयोग करने से पहले मल्टीमीटर को तैयार करना


मल्टीमीटर को प्रयोग करने से पहले कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है। जो निम्न प्रकार से है …


    • मल्टीमीटर में लगे बैटरी को चेक करें और यह सुनिश्चित कर लें कि बैटरी से पावर सप्लाई प्रॉपर हो। 
    • दोनों प्रोब सही तरीके से मल्टीमीटर के पोर्ट में इन्सर्ट हो ।
    • दोनों प्रोब की continuity आ रही हो। इसके लिए मल्टीमीटर को continuity mode में सेट करके दोनों प्रोब के needle पॉइंट को टच करें और सुनिश्चित करें कि मल्टीमीटर से बीप साउंड आ रहा हो।
    • प्रयोग के समय रोटरी स्विच suitable mode पर सेट हो । 
    • प्रयोग के बाद मल्टीमीटर को ऑफ कंडीशन में रखें। नही तो मल्टीमीटर की बैटरी ड्रेन हो सकती है।

मल्टीमीटर की प्रयोग विधि


आइये अब मल्टीमीटर से अलग अलग Quantity को जाँचने का तरीका सीख लेते है।


डिजिटल मल्टीमीटर से DC वोल्टेज चेक करना

डिजिटल मल्टीमीटर से DC voltage चेक करने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें -


👉🏻 मल्टीमीटर से किसी DC सर्किट के वोल्टेज को चेक करने से पहले आपको यह जानना आवश्यक है कि DC सर्किट कितने वोल्टेज पर काम करता है। उदाहरण के लिए मान लेते है कि सर्किट एक ऑटोमोबाइल व्हीकल का है जो 12V DC voltage के साथ काम करता है।

👉🏻 सर्किट में मेन सप्लाई सोर्स से पावर सप्लाई का बटन ON होना चाहिए।

👉🏻 मल्टीमीटर के ब्लैक प्रोब को "com" वाले इनपुट पोर्ट में इन्सर्ट करें।

👉🏻 फिर , मल्टीमीटर के रेड प्रोब को "VΩmA" वाले इनपुट पोर्ट में इन्सर्ट करें।

👉🏻 इसके बाद  सबसे महत्वपूर्ण काम होता है मल्टीमीटर पर रेंज सेलेक्ट करना। इसके लिए मल्टीमीटर पर अंकित DC voltage रेंज को ध्यान से देखें। अब सर्किट के वोल्टेज वैल्यू से सबसे अधिकतम नजदीक वाले वैल्यू पर रोटरी स्विच को सेट करें।

जैसा कि हम पहले ही मान चुकें है कि सर्किट का वोल्टेज वैल्यू 12v है। इस स्थिति में मल्टीमीटर पर सबसे नजदीक वाला अधिकतम DC वोल्टेज वैल्यू 20v है। तो, रोटरी स्विच के ARROW मार्क को 20v के सामने सेट करें।

👉🏻 अब मल्टीमीटर के प्रोब को कॉम्पोनेन्ट के पोल पर टच करें। पॉजिटिव प्रोब को कॉम्पोनेन्ट के पॉजिटिव पॉइंट पर और नेगेटिव प्रोब को नेगेटिव पॉइंट पर।

👉🏻 टच करते ही मल्टीमीटर कुछ सेकंड का प्रोसेस करेगा और आपको एक लगभग फिक्स्ड वैल्यू LCD डिस्प्ले पर शो करेगा।

👉🏻 Displayed Value ही आपके सर्किट का वर्तमान वोल्टेज वैल्यू है।


अब यहाँ पर दो प्रश्न उत्पन्न होते है ….

1️⃣ क्या हो यदि - मल्टीमीटर का प्रोब गलत पॉइंट पर टच हो जाए। कहने का मतलब यह है कि नेगेटिव प्रोब, सर्किट के पॉजिटिव पॉइंट से और पॉजिटिव प्रोब, सर्किट के नेगेटिव पॉइंट से।

ऐसी स्थिति में सर्किट का वोल्टेज रीडिंग का वैल्यू सिर्फ नेगेटिव आएगा। राइट कंडीशन में अगर रीडिंग value 11.8v आ रहा हो तो polarization चेंज करने पर रीडिंग वैल्यू -11.8v आएगा।परंतु, मल्टीमीटर में किसी प्रकार की कोई खराबी नहीं आएगी।


2️⃣ क्या हो यदि - मल्टीमीटर में रेंज का सिलेक्शन कम या ज्यादा हो जाए।

DC वोल्टेज चेक करते समय अगर मल्टीमीटर पर अगर DC वोल्टेज का रेंज गलत सेलेक्ट हो जाये तो रीडिंग वैल्यू के एक्यूरेसी में अंतर हो सकता है या रीडिंग वैल्यू में error आ सकता है। 

जैसे आप 12v वाले सर्किट को चेक कर रहे हो और आपने मीटर को नियम के अनुसार 20v पर स्विच कर रखा है और आपको रीडिंग वैल्यू 11.8v आ रहा है। अब अगर आप इसी सर्किट को 200v (DC) पर रख कर चेक करेंगे तो आपको 11v या इसके आसपास का आएगा। यानी सर्किट का रीडिंग वैल्यू 0.8 वोल्ट से कम हो जाएगा। यानी प्राप्त वैल्यू की एक्यूरेसी घट जाएगी । 

दूसरी तरफ, सर्किट के वर्किंग वैल्यू से मल्टीमीटर को कम रेंज पर सेट करके रखने से रीडिंग में error दिखायेगा।

इसलिए रेंज सिलेक्शन मल्टीमीटर का एक महत्वपूर्ण पक्ष है।

यह प्रश्न AC और DC दोनों प्रकार के सर्किट के लिए लागू होता है।



डिजिटल मल्टीमीटर से AC वोल्टेज चेक करना

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डिजिटल मल्टीमीटर से AC वोल्टेज चेक करना


डिजिटल मल्टीमीटर से DC वोल्टेज की तरह ही AC वोल्टेज को भी चेक किया जा सकता है। AC वोल्टेज चेक करने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो किया जा सकता है…


👉🏻 मल्टीमीटर से किसी AC सर्किट का वोल्टेज चेक करने से पहले आपको यह जानना आवश्यक है कि AC सर्किट कितने वोल्टेज पर काम करता है। उदाहरण के लिए हम घरेलू वायरिंग सर्किट में किसी फीमेल सॉकेट का Output वोल्टेज चेक करना चाहते है। हम सब यह भली भांति यह जानते हैं कि घरेलू सर्किट में 240v - 250v तक सप्लाई रहता है। 

👉🏻 सर्किट में मेन सप्लाई सोर्स से पावर सप्लाई का बटन ON होना चाहिए।

👉🏻 मल्टीमीटर के ब्लैक प्रोब को "com" वाले इनपुट पोर्ट में इन्सर्ट करें।

👉🏻 फिर , मल्टीमीटर के रेड प्रोब को "VΩmA" वाले इनपुट पोर्ट में इन्सर्ट करें।

👉🏻 अब रोटरी स्विच को AC वोल्टेज वाले रेंज में 250v के सबसे नजदीक वाले अधिकतम वैल्यू पर     

      सेट करें।

👉🏻 अब मल्टीमीटर के प्रोब को फीमेल सॉकेट के नीचे वाले पोर्ट्स में इन्सर्ट/टच करें। 

👉🏻 टच करते ही मल्टीमीटर कुछ सेकंड का प्रोसेस करेगा और आपको एक लगभग फिक्स्ड वैल्यू 

      LCD डिस्प्ले पर शो करेगा।

👉🏻 Displayed Value ही आपके AC सर्किट का वर्तमान वोल्टेज वैल्यू है।


इस बात को हमेशा याद रखें कि AC या DC वोल्टेज चेक करने के लिए मल्टीमीटर को हमेशा श्रेणी क्रम (SERIES) में जोड़ा जाता है। 


डिजिटल मल्टीमीटर से Resistance मापना


क्या आप जानते है कि किसी सर्किट या कॉम्पोनेन्ट का रेजिस्टेंस क्यों मापा जाता है ? किसी सर्किट या कॉम्पोनेन्ट की वर्तमान स्थिति कैसी है, वह अपनी पूर्ण क्षमता से काम कर कर रहा है कि नहीं , इस बात को सुनिश्चित करने के लिए सर्किट या कॉम्पोनेन्ट का रेजिस्टेंस चेक किया जाता है।

अगर सर्किट या कॉम्पोनेन्ट का रेजिस्टेंस ज्यादा है तो उससे होने वाले करंट का बहाव (Flow of current) कम होगा। इसके उलट, अगर रेजिस्टेंस कम है तो करंट का बहाव ज्यादा होगा।


Digital Multimeter से किसी सर्किट या परिपथ का Resistance निम्न प्रकार से मापा जाता है।


👉🏻 सबसे पहले सर्किट अथवा कॉम्पोनेन्ट में होने वाले करंट का बहाव बंद कर दे।

👉🏻 अगर सर्किट में capacitor लगा हो तो उसे डिस्चार्ज कर दें। 

👉🏻 मल्टीमीटर को आवश्यक रेंज में सेट कर दें।

👉🏻 मल्टीमीटर के ब्लैक प्रोब को "com" वाले इनपुट पोर्ट में इन्सर्ट करें।

👉🏻 फिर , मल्टीमीटर के रेड प्रोब को "VΩmA" वाले इनपुट पोर्ट में इन्सर्ट करें।

👉🏻 अब दोनों प्रोब की सहायता से आप सर्किट या कॉम्पोनेन्ट  का रेजिस्टेंस चेक कर सकते है। जिसकी वैल्यू 

       LCD display पर show होगी।


रेजिस्टेंस चेक करने के लिए भी सर्किट या कॉम्पोनेन्ट का रेजिस्टेंस वैल्यू मालूम होना आवश्यक होता है।

मल्टीमीटर में गलत रेंज का चुनाव रीडिंग वैल्यू के एक्यूरेसी को प्रभावित कर सकता है। 



Digital multimeter से Continuity चेक करना 

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Digital multimeter से Continuity चेक करना 


डिजिटल मल्टीमीटर से किसी सर्किट या कॉम्पोनेन्ट का continuity चेक करने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो किया जा सकता है। 


👉🏻  सबसे पहले सर्किट अथवा कंपोनेन्ट में होने वाले करंट का बहाव बंद कर दे।

👉🏻  रोटरी स्विच को continuity test mode में turn करें।

👉🏻 मल्टीमीटर के ब्लैक प्रोब को "com" वाले इनपुट पोर्ट में इन्सर्ट करें।

👉🏻 फिर , मल्टीमीटर के रेड प्रोब को "VΩmA" वाले इनपुट पोर्ट में इन्सर्ट करें।

👉🏻 जिस भी सर्किट या कॉम्पोनेन्ट को आपको चेक करना है उसे मल्टीमीटर के दोनों प्रोब्स के साथ समायोजित करें।

👉🏻 circuit continue होने की स्थिति में आपको मल्टीमीटर से एक Beep sound सुनाई देगा। अगर सर्किट open है या dis-continue है तो मल्टीमीटर से कोई भी sound सुनाई नहीं देगा।


💡Tip :- जब आपको मल्टीमीटर use करना हो तो प्रोब को Insert के समय मल्टीमीटर को off mode में रखें। पहले ब्लैक प्रोब इन्सर्ट करें फिर रेड प्रोब। अगर प्रोब मल्टीमीटर से निकलना हो तो पहले मल्टीमीटर ऑफ करें। इस बार पहले  रेड प्रोब निकले फिर ब्लैक प्रोब। 

मल्टीमीटर में लगे बैटरी के लाइफ को बचाने के लिए प्रयोग के बाद मल्टीमीटर को off condition में रखें।








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